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Wednesday 28 April 2010

दर्द

दर्द क्या सिर्फ सहने के लिए होता है
या दर्द होता है इसलिए हम सहते हैं
दर्द को कोई दर्दवान ही समझता है
दर्द अपनी अपनी सोच पर निर्भर है

दर्द की परिसीमाएं और परिभाषाएं अपनी
किसी का दर्द, किसी के लिए काम है
दर्द बस दिलवालों का होता है ऐसा नहीं
बेदिल भी बेदर्दी होने के नाते इससे जुड़े हैं

कभी दर्द के, कभी खून के या मय के
बस दर्द के कारण ही, हम घूंट पीते हैं
हमें दर्द कभी तोड़ता है, कभी जोड़ता है
हमें मजबूर भी जीने के लिए दर्द करता है

दर्द मार भी डालता है, शर्म को, जिस्म को
या कभी कभी जमीर और इन्सान को
दर्द ही बनाता है मशीन एक इन्सान को
दर्द ही "कादर" मशीन से इन्सान बनाता है

केदारनाथ "कादर"

2 comments:

  1. बेदिल भी बेदर्दी होने के नाते इससे जुड़े हैं
    ...
    दर्द मार भी डालता है, शर्म को, जिस्म को
    या कभी कभी जमीर और इन्सान को
    दर्द ही बनाता है मशीन एक इन्सान को
    दर्द ही "कादर" मशीन से इन्सान बनाता है
    दर्द को शब्द देने का सराहनीय प्रयास - आभार

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  2. haan dard ki paribhasha alag hai...jispar bitati hai wahi janata hai....

    ham log bahut chote hain..

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